राशियाँ : ज्योतिष 12 राशियों में विभाजित होता है, और प्रत्येक राशि 30 अंश का विस्तार करती है।
भाव (Houses): कुंडली को 12 भावों में विभाजित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक भाव जीवन के एक विशेष क्षेत्र को दर्शाता है:
प्रथम भाव (लग्न): व्यक्तित्व, शारीरिक संरचना।
द्वितीय भाव: धन, परिवार, वाणी।
तृतीय भाव: साहस, भाई-बहन, संचार।
चतुर्थ भाव: घर, माँ, भावना।
पंचम भाव: संतान, शिक्षा, रचनात्मकता।
षष्ठ भाव: स्वास्थ्य, शत्रु, चुनौतियाँ।
सप्तम भाव: विवाह, साझेदारी, व्यापार।
अष्टम भाव: आयु, परिवर्तन, गुप्त बातें।
नवम भाव: भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा।
दशम भाव: करियर, सामाजिक स्थिति, उपलब्धियाँ।
एकादश भाव: लाभ, आकांक्षाएँ, मित्रता।
द्वादश भाव: हानि, खर्च, मोक्ष।
ग्रह (Planets)
ज्योतिष में नौ ग्रहों का बहुत महत्व है, जिन्हें नवग्रह कहा जाता है। ये ग्रह जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं:
सूर्य (Sun): आत्मा, अहंकार, पिता, नेतृत्व।
चन्द्र (Moon): मन, भावनाएँ, माँ, मानसिक शांति।
मंगल (Mars): ऊर्जा, साहस, भाई-बहन, शक्ति।
बुध (Mercury): बुद्धि, संचार, वाणिज्य।
गुरु (Jupiter): ज्ञान, धन, धर्म, शिक्षक।
शुक्र (Venus): प्रेम, संबंध, सौंदर्य, विलासिता।
शनि (Saturn): अनुशासन, कर्म, कठिनाइयाँ, दीर्घायु।
राहु (North Lunar Node): इच्छाएँ, महत्वाकांक्षाएँ, भौतिक सुख।
केतु (South Lunar Node): त्याग, आध्यात्मिकता, पूर्व जन्म के कर्म।
कुंडली
जिसमें जन्म के समय ग्रहों की स्थिति दर्शाई जाती है। यह व्यक्ति के जीवन की दिशा, उसके अच्छे-बुरे समय, स्वास्थ्य, करियर, विवाह और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करने में मदद करता है।
दशाएँ (Planetary Periods)
दशाएँ व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों में ग्रहों के प्रभाव को दर्शाती हैं। विमशोत्तरी दशा ज्योतिष में प्रमुख प्रणाली है, जिसमें हर ग्रह का एक निश्चित समय अवधि में प्रभाव होता है:
सूर्य दशा: 6 साल
चन्द्र दशा: 10 साल
मंगल दशा: 7 साल0.
बुध दशा: 17 साल
गुरु दशा: 16 साल
शुक्र दशा: 20 साल
शनि दशा: 19 साल
राहु दशा: 18 साल
केतु दशा: 7 साल
नक्षत्र
ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं, नक्षत्रों का प्रभाव ग्रहों से जुड़कर व्यक्ति की सोच, स्वभाव और जीवन के अनुभवों को प्रभावित करता है।